• We stand with Advocate Anil Mishra, a fearless Sanatani voice challenging an entrenched anti-Hindu ecosystem that has long manipulated the system for ideological and political ends. This is not merely a legal battle, it is an ideological struggle for the very soul of the nation. The era of selective justice and performative victimhood must end. No individual or ideology, regardless of perceived historical stature, should be above scrutiny or shielded from fact-based accountability.

    Advocate Anil Mishra courageously exposes the workings of a political-ideological machinery that distorts history and constitutional interpretation for vote-bank politics and elevates certain ideas and figures above the law. This deliberate inequity has emboldened anti-Hindu forces, including Ambedkarite extremists like the Bhim Army and others, to justify violence under the guise of constitutional defense. Mishra Ji's arguments are a necessary corrective to this "Neela Kabutar" agenda, challenging the entrenched privileges of those who manipulate power and ideology to their advantage.

    We call upon all Hindus to stand united with Advocate Mishra, the brave Hindu lion, in his unwavering pursuit of truth, justice and equality under the law. His fight is not only for the defense of facts and history but also for restoring integrity and fairness to our national discourse. Supporting him is essential to confront the forces of Adharma and to uphold the principles of a just and equitable society. That's it.

    #scrolllink #AnilMishra #Advocate #hindu #Sanatani #bheemate #neeleKabutar #neelchatte #neelekitanu
    We stand with Advocate Anil Mishra, a fearless Sanatani voice challenging an entrenched anti-Hindu ecosystem that has long manipulated the system for ideological and political ends. This is not merely a legal battle, it is an ideological struggle for the very soul of the nation. The era of selective justice and performative victimhood must end. No individual or ideology, regardless of perceived historical stature, should be above scrutiny or shielded from fact-based accountability. Advocate Anil Mishra courageously exposes the workings of a political-ideological machinery that distorts history and constitutional interpretation for vote-bank politics and elevates certain ideas and figures above the law. This deliberate inequity has emboldened anti-Hindu forces, including Ambedkarite extremists like the Bhim Army and others, to justify violence under the guise of constitutional defense. Mishra Ji's arguments are a necessary corrective to this "Neela Kabutar" agenda, challenging the entrenched privileges of those who manipulate power and ideology to their advantage. We call upon all Hindus to stand united with Advocate Mishra, the brave Hindu lion, in his unwavering pursuit of truth, justice and equality under the law. His fight is not only for the defense of facts and history but also for restoring integrity and fairness to our national discourse. Supporting him is essential to confront the forces of Adharma and to uphold the principles of a just and equitable society. That's it. #scrolllink #AnilMishra #Advocate #hindu #Sanatani #bheemate #neeleKabutar #neelchatte #neelekitanu
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  • व्रत का शुभ मुहूर्त और चांद उदय समय
    इस वर्ष करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा, कथा और व्रत संबंधी अनुष्ठान सबसे अधिक प्रभावी और शुभ माने जाते हैं। पंचांग के अनुसार चंद्रमा का उदय यानी चांद निकलने का समय रात 8:14 बजे है। चांद के दर्शन और अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण होता है।

    #karwachauth #vrat #muhurt #puja #scrolllink
    व्रत का शुभ मुहूर्त और चांद उदय समय इस वर्ष करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा, कथा और व्रत संबंधी अनुष्ठान सबसे अधिक प्रभावी और शुभ माने जाते हैं। पंचांग के अनुसार चंद्रमा का उदय यानी चांद निकलने का समय रात 8:14 बजे है। चांद के दर्शन और अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण होता है। #karwachauth #vrat #muhurt #puja #scrolllink
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  • इस वर्ष, 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को है।
    करवा चौथ 2025 के लिए शुभ मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं:
    पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:57 बजे से शाम 7:11 बजे तक।
    चंद्रोदय का समय: रात 8:13 बजे।
    व्रत का समय: सुबह 6:19 बजे से रात 8:13 बजे तक।
    व्रत की कुल अवधि: 14 घंटे 18 मिनट।
    ध्यान दें कि चंद्रमा के उदय का समय शहर के अनुसार थोड़ा अलग हो सकता है। पूजा का सही समय और चंद्रोदय के लिए अपने स्थानीय पंचांग की जाँच करना हमेशा बेहतर होता है।

    #karwachauth #muhurt #vrat #scrolllink
    इस वर्ष, 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को है। करवा चौथ 2025 के लिए शुभ मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं: पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:57 बजे से शाम 7:11 बजे तक। चंद्रोदय का समय: रात 8:13 बजे। व्रत का समय: सुबह 6:19 बजे से रात 8:13 बजे तक। व्रत की कुल अवधि: 14 घंटे 18 मिनट। ध्यान दें कि चंद्रमा के उदय का समय शहर के अनुसार थोड़ा अलग हो सकता है। पूजा का सही समय और चंद्रोदय के लिए अपने स्थानीय पंचांग की जाँच करना हमेशा बेहतर होता है। #karwachauth #muhurt #vrat #scrolllink
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  • Karva Chauth is a traditional Hindu festival celebrated by married women in India. On this day, wives observe a day-long fast from sunrise to moonrise for the long life, prosperity, and well-being of their husbands. Women dress beautifully in festive attire, apply mehndi (henna) on their hands, and gather together to listen to the Karva Chauth Katha (story). In the evening, after sighting the moon through a sieve, they offer prayers and then break their fast after their husbands offer them water and the first bite of food. The festival symbolizes love, devotion, and the sacred bond between husband and wife.

    #karvachauth2025 #karvachauth #hindu #sanatan #siddhadharma #jaishreeram #jaikalki #jaisambhalasamrajya #scrolllink
    Karva Chauth is a traditional Hindu festival celebrated by married women in India. On this day, wives observe a day-long fast from sunrise to moonrise for the long life, prosperity, and well-being of their husbands. Women dress beautifully in festive attire, apply mehndi (henna) on their hands, and gather together to listen to the Karva Chauth Katha (story). In the evening, after sighting the moon through a sieve, they offer prayers and then break their fast after their husbands offer them water and the first bite of food. The festival symbolizes love, devotion, and the sacred bond between husband and wife. #karvachauth2025 #karvachauth #hindu #sanatan #siddhadharma #jaishreeram #jaikalki #jaisambhalasamrajya #scrolllink
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  • 'करवा चौथ' के पावन अवसर पर उन सभी भैरव-भैरवियों हेतु मंत्र प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने अपने भैरव या भैरवी हेतु पवित्र व्रत धारण किया है। दिन भर इस मंत्र का मानसिक जाप करना श्रेष्ठ है व इसके प्रभाव से पति-पत्नी की लम्बी आयु के साथ ही धन-धान्य व दाम्पत्य सुख आदि की भी प्राप्ति होती है। ब्रत के दिन शिव-पार्वती का ध्यान व गुरु वंदना सहित अपने कुल देवी-देवताओं की स्तुति व पूजन भी करना चाहिए। यदि भैरव-भैरावियाँ कुंवारे हैं तो भी सुन्दर पति-पत्नी की कामना हेतु ब्रत धारण करने का विधान है। यदि आपका विवाह नहीं हुआ है तो आप अपने प्रेमी या प्रेमिका हेतु भी व्रत धारण कर सकते हैं। 'कौलान्तक संप्रदाय' में जिन भैरवियों या भैरवों की पत्नी अथवा पति इस लोक में नहीं हैं वो भैरव-भैरवी अपने गुरु या इष्ट के निम्मित भी इस व्रत को धारण कर सकते हैं। व्रत चन्द्रमा के दर्शन तक स्थित रहता है। किन्तु बिना मंत्र जाप 'कौलान्तक संप्रदाय' व्रत को महत्त्व नहीं देता। ये व्रत एक गोपनीय 'तांत्रिक साधना' है। इस व्रत की बहुत सी मनघडंत और व्यर्थ की कथाएं पुस्तक बाजारों में उपलब्ध है। जिस पर 'कौलान्तक पीठ' विश्वास नहीं करता। क्योंकि इस व्रत के नियम कथा आदि हमारी परम्परा में बिलकुल भिन्न हैं। अत: आप मंत्र पूर्वक व्रत को संपन्न करें। करवा चौथ के पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं और हाँ जाते-जाते ये बताना जरुरी है की भारत के कुछ मनहूस मीडिया घराने जो की हमेशा इस व्रत विपरीत कुछ न कुछ बताते रहते हैं हम उनको 'मलेच्छ संगठन' करार देते हैं व हिन्दू धर्म विरोधी घोषित कर उनका व उनके कर्मचारियों का मुँह काला करते हैं-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय।
    ऊँ ह्रौं श्रीं ऐं ह्रीं सर्वसौभाग्य चक्र स्वामिन्यै नमः #Parv
    'करवा चौथ' के पावन अवसर पर उन सभी भैरव-भैरवियों हेतु मंत्र प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने अपने भैरव या भैरवी हेतु पवित्र व्रत धारण किया है। दिन भर इस मंत्र का मानसिक जाप करना श्रेष्ठ है व इसके प्रभाव से पति-पत्नी की लम्बी आयु के साथ ही धन-धान्य व दाम्पत्य सुख आदि की भी प्राप्ति होती है। ब्रत के दिन शिव-पार्वती का ध्यान व गुरु वंदना सहित अपने कुल देवी-देवताओं की स्तुति व पूजन भी करना चाहिए। यदि भैरव-भैरावियाँ कुंवारे हैं तो भी सुन्दर पति-पत्नी की कामना हेतु ब्रत धारण करने का विधान है। यदि आपका विवाह नहीं हुआ है तो आप अपने प्रेमी या प्रेमिका हेतु भी व्रत धारण कर सकते हैं। 'कौलान्तक संप्रदाय' में जिन भैरवियों या भैरवों की पत्नी अथवा पति इस लोक में नहीं हैं वो भैरव-भैरवी अपने गुरु या इष्ट के निम्मित भी इस व्रत को धारण कर सकते हैं। व्रत चन्द्रमा के दर्शन तक स्थित रहता है। किन्तु बिना मंत्र जाप 'कौलान्तक संप्रदाय' व्रत को महत्त्व नहीं देता। ये व्रत एक गोपनीय 'तांत्रिक साधना' है। इस व्रत की बहुत सी मनघडंत और व्यर्थ की कथाएं पुस्तक बाजारों में उपलब्ध है। जिस पर 'कौलान्तक पीठ' विश्वास नहीं करता। क्योंकि इस व्रत के नियम कथा आदि हमारी परम्परा में बिलकुल भिन्न हैं। अत: आप मंत्र पूर्वक व्रत को संपन्न करें। करवा चौथ के पर्व की हार्दिक शुभ कामनाएं और हाँ जाते-जाते ये बताना जरुरी है की भारत के कुछ मनहूस मीडिया घराने जो की हमेशा इस व्रत विपरीत कुछ न कुछ बताते रहते हैं हम उनको 'मलेच्छ संगठन' करार देते हैं व हिन्दू धर्म विरोधी घोषित कर उनका व उनके कर्मचारियों का मुँह काला करते हैं-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय। ऊँ ह्रौं श्रीं ऐं ह्रीं सर्वसौभाग्य चक्र स्वामिन्यै नमः #Parv
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  • 'करवा चौथ' के सम्बन्ध में एक और बात की क्या पुरुषों को व्रत रखना चाहिए क्योंकि धर्म ग्रंथों व कथाओं में ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता? इसका उत्तर ये है की करवा चौथ एक खगोलीय मुहूर्त है जिसका प्रयोग स्त्री व पुरुष सामान रूप से कर सकते हैं। आम जन व्रत के साधनात्मक पक्ष को नहीं जानते इस कारण व्रत कर महिलाये इसे पूर्ण समझ लेती है। हाँ ये जरूर है की भक्ति और श्रद्धा में शक्ति होती है तो व्रत फलीभूत हो जाता है। लेकिन इस पर्व विशेष में साधना आवश्यक होती है। साधना से ही सती स्त्रियां बल प्राप्त कर उसका बड़ा भाग पति को सौंपती थी जो आज भी संभव है साधना द्वारा। जो साधक काल ज्ञान के ज्ञाता हैं वो जानने हैं की इस काल खंड में की गई साधना से सर्व सौभाग्य आता है। इस कारण हिमालय के सिद्धों नें व्रत की परम्परा को बढ़ावा दिया। 'कौलान्तक संप्रदाय' में बहुत से वीर योद्धाओं का विवरण है व साथ ही 'देवराज इंद्रा द्वारा अपनी पत्नी शची' के व्रत काल में व्रत धारण करने की कथा का भी उल्लेख है। महाकैलाश पर देवी पार्वती के व्रतकाल में शिव भी व्रती होते हैं। इस प्रकार ये सिद्ध होता है की व्रत केवल स्त्री-पुरुष के भेद से नहीं अपितु ज्योतिषीय भेद से चलता है। हाँ पुरुषों के लिए ये व्रत रखना जटिल है उनके स्वभाव के कारण क्योंकि इस व्रत के नियमों में से कुछ अति आवश्यक है जिनका पालन कभी-कभी पुरुषों से नहीं हो पाता इस कारण अधिकांश पुरुष इससे दूर रहते है। पर जो स्त्री अपने पुरुष से अमर्यादित सम्भाषण करती हो। पुरुष से श्रेष्ठता चाहती हो, पुरुष के तर्कों को तर्कों से आंकती हो, पुरुष को प्रथम स्थान न देती हो ऐसी स्त्री द्वारा किया गया व्रत केवल ढोंग होता है व निष्फल ही रहता है। तो ऐसी स्त्री को भी ब्रत नहीं करना चाहिए। जो पुरुष पराई औरतों पर आसक्त है अपनी स्त्री में देवी का अंश नहीं देखता उसे न तो व्रत का अधिकार है ना ही अपनी अर्धांगिनी से पूजा ग्रहण का अधिकार। इस प्रकार बहुत से नियम और साधना मत 'करवा चौथ' से जुड़े हैं। जिनका भैरव-भैरवियों को अध्ययन कर व्रत साधना में उतरना चाहिए। ये व्रत पौराणिक व तांत्रिक दोनों मतों द्वारा प्रतिपादित है। शेष ज्ञान अपने श्री गुरु से ग्रहण करें। इस व्रत की रक्षा धर्मावलम्बियों का कार्य है। क्योंकि पतिव्रत को नष्ट करने का कार्य मलेच्छ करेंगे ऐसा पूर्व भविष्यवाणियों से सिद्ध होता है। कलियुग में कुलटा स्त्रियां व मलेच्छा पुरष तथा उनके विविध संगठन इस कार्य में जुट जाएंगे। क्योंकि अकारण भी सतित्व से भयभीत रहते मलेच्छों के ह्रदय को ऐसे पर्वों से अपार दुःख पहुँचता है तो वे षड्यंत्र व कृत्रिम बौद्धिक तर्कों व कुतर्कों द्वारा इन व्रतों की महिमा को खंडित करने का प्रयास करते है-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय।
    ऊँ ह्रौं श्रीं ऐं ह्रीं सर्वसौभाग्य चक्र स्वामिन्यै नमः #Parv
    'करवा चौथ' के सम्बन्ध में एक और बात की क्या पुरुषों को व्रत रखना चाहिए क्योंकि धर्म ग्रंथों व कथाओं में ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता? इसका उत्तर ये है की करवा चौथ एक खगोलीय मुहूर्त है जिसका प्रयोग स्त्री व पुरुष सामान रूप से कर सकते हैं। आम जन व्रत के साधनात्मक पक्ष को नहीं जानते इस कारण व्रत कर महिलाये इसे पूर्ण समझ लेती है। हाँ ये जरूर है की भक्ति और श्रद्धा में शक्ति होती है तो व्रत फलीभूत हो जाता है। लेकिन इस पर्व विशेष में साधना आवश्यक होती है। साधना से ही सती स्त्रियां बल प्राप्त कर उसका बड़ा भाग पति को सौंपती थी जो आज भी संभव है साधना द्वारा। जो साधक काल ज्ञान के ज्ञाता हैं वो जानने हैं की इस काल खंड में की गई साधना से सर्व सौभाग्य आता है। इस कारण हिमालय के सिद्धों नें व्रत की परम्परा को बढ़ावा दिया। 'कौलान्तक संप्रदाय' में बहुत से वीर योद्धाओं का विवरण है व साथ ही 'देवराज इंद्रा द्वारा अपनी पत्नी शची' के व्रत काल में व्रत धारण करने की कथा का भी उल्लेख है। महाकैलाश पर देवी पार्वती के व्रतकाल में शिव भी व्रती होते हैं। इस प्रकार ये सिद्ध होता है की व्रत केवल स्त्री-पुरुष के भेद से नहीं अपितु ज्योतिषीय भेद से चलता है। हाँ पुरुषों के लिए ये व्रत रखना जटिल है उनके स्वभाव के कारण क्योंकि इस व्रत के नियमों में से कुछ अति आवश्यक है जिनका पालन कभी-कभी पुरुषों से नहीं हो पाता इस कारण अधिकांश पुरुष इससे दूर रहते है। पर जो स्त्री अपने पुरुष से अमर्यादित सम्भाषण करती हो। पुरुष से श्रेष्ठता चाहती हो, पुरुष के तर्कों को तर्कों से आंकती हो, पुरुष को प्रथम स्थान न देती हो ऐसी स्त्री द्वारा किया गया व्रत केवल ढोंग होता है व निष्फल ही रहता है। तो ऐसी स्त्री को भी ब्रत नहीं करना चाहिए। जो पुरुष पराई औरतों पर आसक्त है अपनी स्त्री में देवी का अंश नहीं देखता उसे न तो व्रत का अधिकार है ना ही अपनी अर्धांगिनी से पूजा ग्रहण का अधिकार। इस प्रकार बहुत से नियम और साधना मत 'करवा चौथ' से जुड़े हैं। जिनका भैरव-भैरवियों को अध्ययन कर व्रत साधना में उतरना चाहिए। ये व्रत पौराणिक व तांत्रिक दोनों मतों द्वारा प्रतिपादित है। शेष ज्ञान अपने श्री गुरु से ग्रहण करें। इस व्रत की रक्षा धर्मावलम्बियों का कार्य है। क्योंकि पतिव्रत को नष्ट करने का कार्य मलेच्छ करेंगे ऐसा पूर्व भविष्यवाणियों से सिद्ध होता है। कलियुग में कुलटा स्त्रियां व मलेच्छा पुरष तथा उनके विविध संगठन इस कार्य में जुट जाएंगे। क्योंकि अकारण भी सतित्व से भयभीत रहते मलेच्छों के ह्रदय को ऐसे पर्वों से अपार दुःख पहुँचता है तो वे षड्यंत्र व कृत्रिम बौद्धिक तर्कों व कुतर्कों द्वारा इन व्रतों की महिमा को खंडित करने का प्रयास करते है-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय। ऊँ ह्रौं श्रीं ऐं ह्रीं सर्वसौभाग्य चक्र स्वामिन्यै नमः #Parv
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