इस महिला ने दुनिया भर के करोड़ों प्रवासियों की ओर से, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी.वांस से इमिग्रेशन और धर्म को लेकर स्पष्ट और सीधा सवाल पूछा — जो सवाल शायद भारतीय मूल के बड़े-बड़े CEO और पावरफ़ुल लोग भी आमने-सामने नहीं पूछ पाए।
“मैं आपसे यह पूछना चाहती हूँ कि आपकी पत्नी ईसाई नहीं हैं, और मैंने अभी उनके बारे में पढ़ा कि वे खुद को हिंदू मानती हैं।
आप दोनों के तीन बच्चे हैं, जो एक ऐसे परिवार में पले-बढ़ रहे हैं, जहाँ संस्कृति, नस्ल और धर्म सब मिश्रित हैं।
तो मेरा सवाल यह है —
आप अपने बच्चों को कैसे सिखाते हैं कि वे आपके धर्म को अपनी माँ के धर्म से ऊपर न रखें?
या फिर आप उन्हें कैसे बताते हैं कि आपके पूर्वज, जो अमेरिका में कुछ सौ सालों पहले या कुछ पीढ़ियों पहले आए, वो उनकी माँ की ओर के पूर्वजों से ज़्यादा सही या बेहतर हैं ?
और जब आप कहते हैं कि अमेरिका में बहुत ज़्यादा प्रवासी आ गए हैं — तो यह संख्या किसने तय की? कब यह फैसला लिया गया कि अब काफ़ी लोग आ चुके हैं ?”
“आप लोगों ने हम जैसे लोगों को यहाँ आने का सपना दिखाया। हमने अपनी जवानी, अपना पैसा, अपनी मेहनत इस देश में लगाई — और अब आप कह रहे हैं कि हम ही ज़्यादा हो गए?
हमने आपसे कुछ मुफ़्त नहीं माँगा।
हमने काम किया, टैक्स चुकाया, योगदान दिया।
तो अब आप कैसे कह सकते हैं कि
हम यहाँ ज़्यादा हो गए या हमें अब यहाँ नहीं रहना चाहिए?
हम यहाँ कानूनी रूप से आए,
आपकी नीतियों, प्रक्रियाओं और फ़ीस का पालन किया —
अब आप कह रहे हैं कि हम फिट नहीं होते ?”
“और एक बात —
आप बार-बार ईसाई पहचान की बात करते हैं।
लेकिन मैं खुद ईसाई नहीं हूँ,
फिर भी मैं यहाँ अमेरिका से प्यार और समर्थन दिखाने बैठी हूँ।
तो फिर ऐसा क्यों है कि इस देश से प्यार करने के लिए ईसाई होना ही शर्त बन जाती है?
क्यों बार-बार यह सवाल उठता है कि जो ईसाई नहीं हैं, क्या वे सच में अमेरिकी नहीं हैं ?”
“मैं यह सब पूरे सम्मान के साथ पूछ रही हूँ।
मेरा उद्देश्य कोई विवाद खड़ा करना नहीं है,
लेकिन ये सवाल ज़रूरी हैं।”
#JDVance #DonaldTrump #usa #immigration #scrolllink
“मैं आपसे यह पूछना चाहती हूँ कि आपकी पत्नी ईसाई नहीं हैं, और मैंने अभी उनके बारे में पढ़ा कि वे खुद को हिंदू मानती हैं।
आप दोनों के तीन बच्चे हैं, जो एक ऐसे परिवार में पले-बढ़ रहे हैं, जहाँ संस्कृति, नस्ल और धर्म सब मिश्रित हैं।
तो मेरा सवाल यह है —
आप अपने बच्चों को कैसे सिखाते हैं कि वे आपके धर्म को अपनी माँ के धर्म से ऊपर न रखें?
या फिर आप उन्हें कैसे बताते हैं कि आपके पूर्वज, जो अमेरिका में कुछ सौ सालों पहले या कुछ पीढ़ियों पहले आए, वो उनकी माँ की ओर के पूर्वजों से ज़्यादा सही या बेहतर हैं ?
और जब आप कहते हैं कि अमेरिका में बहुत ज़्यादा प्रवासी आ गए हैं — तो यह संख्या किसने तय की? कब यह फैसला लिया गया कि अब काफ़ी लोग आ चुके हैं ?”
“आप लोगों ने हम जैसे लोगों को यहाँ आने का सपना दिखाया। हमने अपनी जवानी, अपना पैसा, अपनी मेहनत इस देश में लगाई — और अब आप कह रहे हैं कि हम ही ज़्यादा हो गए?
हमने आपसे कुछ मुफ़्त नहीं माँगा।
हमने काम किया, टैक्स चुकाया, योगदान दिया।
तो अब आप कैसे कह सकते हैं कि
हम यहाँ ज़्यादा हो गए या हमें अब यहाँ नहीं रहना चाहिए?
हम यहाँ कानूनी रूप से आए,
आपकी नीतियों, प्रक्रियाओं और फ़ीस का पालन किया —
अब आप कह रहे हैं कि हम फिट नहीं होते ?”
“और एक बात —
आप बार-बार ईसाई पहचान की बात करते हैं।
लेकिन मैं खुद ईसाई नहीं हूँ,
फिर भी मैं यहाँ अमेरिका से प्यार और समर्थन दिखाने बैठी हूँ।
तो फिर ऐसा क्यों है कि इस देश से प्यार करने के लिए ईसाई होना ही शर्त बन जाती है?
क्यों बार-बार यह सवाल उठता है कि जो ईसाई नहीं हैं, क्या वे सच में अमेरिकी नहीं हैं ?”
“मैं यह सब पूरे सम्मान के साथ पूछ रही हूँ।
मेरा उद्देश्य कोई विवाद खड़ा करना नहीं है,
लेकिन ये सवाल ज़रूरी हैं।”
#JDVance #DonaldTrump #usa #immigration #scrolllink
इस महिला ने दुनिया भर के करोड़ों प्रवासियों की ओर से, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी.वांस से इमिग्रेशन और धर्म को लेकर स्पष्ट और सीधा सवाल पूछा — जो सवाल शायद भारतीय मूल के बड़े-बड़े CEO और पावरफ़ुल लोग भी आमने-सामने नहीं पूछ पाए।
“मैं आपसे यह पूछना चाहती हूँ कि आपकी पत्नी ईसाई नहीं हैं, और मैंने अभी उनके बारे में पढ़ा कि वे खुद को हिंदू मानती हैं।
आप दोनों के तीन बच्चे हैं, जो एक ऐसे परिवार में पले-बढ़ रहे हैं, जहाँ संस्कृति, नस्ल और धर्म सब मिश्रित हैं।
तो मेरा सवाल यह है —
आप अपने बच्चों को कैसे सिखाते हैं कि वे आपके धर्म को अपनी माँ के धर्म से ऊपर न रखें?
या फिर आप उन्हें कैसे बताते हैं कि आपके पूर्वज, जो अमेरिका में कुछ सौ सालों पहले या कुछ पीढ़ियों पहले आए, वो उनकी माँ की ओर के पूर्वजों से ज़्यादा सही या बेहतर हैं ?
और जब आप कहते हैं कि अमेरिका में बहुत ज़्यादा प्रवासी आ गए हैं — तो यह संख्या किसने तय की? कब यह फैसला लिया गया कि अब काफ़ी लोग आ चुके हैं ?”
“आप लोगों ने हम जैसे लोगों को यहाँ आने का सपना दिखाया। हमने अपनी जवानी, अपना पैसा, अपनी मेहनत इस देश में लगाई — और अब आप कह रहे हैं कि हम ही ज़्यादा हो गए?
हमने आपसे कुछ मुफ़्त नहीं माँगा।
हमने काम किया, टैक्स चुकाया, योगदान दिया।
तो अब आप कैसे कह सकते हैं कि
हम यहाँ ज़्यादा हो गए या हमें अब यहाँ नहीं रहना चाहिए?
हम यहाँ कानूनी रूप से आए,
आपकी नीतियों, प्रक्रियाओं और फ़ीस का पालन किया —
अब आप कह रहे हैं कि हम फिट नहीं होते ?”
“और एक बात —
आप बार-बार ईसाई पहचान की बात करते हैं।
लेकिन मैं खुद ईसाई नहीं हूँ,
फिर भी मैं यहाँ अमेरिका से प्यार और समर्थन दिखाने बैठी हूँ।
तो फिर ऐसा क्यों है कि इस देश से प्यार करने के लिए ईसाई होना ही शर्त बन जाती है?
क्यों बार-बार यह सवाल उठता है कि जो ईसाई नहीं हैं, क्या वे सच में अमेरिकी नहीं हैं ?”
“मैं यह सब पूरे सम्मान के साथ पूछ रही हूँ।
मेरा उद्देश्य कोई विवाद खड़ा करना नहीं है,
लेकिन ये सवाल ज़रूरी हैं।”
#JDVance #DonaldTrump #usa #immigration #scrolllink
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