पुलिस संरक्षण में रखी गई ब्रह्मा मूर्ति को उसके मूल मंदिर के आसन पर पुनः स्थापित किया गया है।

महानगरपालिका के वार्ड नं. ८ ने उस खोए हुए मंदिर की खुदाई कर मूर्ति को पुनः स्थापित कराया।

ब्रह्मा की मूर्ति के चोरी होकर मिलने और संरक्षण में रखे जाने के विषय में जानकारी देते हुए वार्ड अध्यक्ष आशामान संगत ने बुज़ुर्ग स्थानीय लोगों के कथन का उल्लेख करते हुए कहा, “एक पक्ष का कहना है कि चोर मूर्ति चुराकर ले जा रहे थे, लेकिन ले नहीं जा सके, इसलिए उसे धोबी खोंला (नदी) में फेंक दिया। दूसरे पक्ष का कहना है कि उसे पशुपति के तिलगंगा क्षेत्र में फेंका गया था। चाहे जहाँ भी फेंका गया हो, मूर्ति सन् १९७९ से १९८१ (वि.सं. २०३६ से २०३८) के बीच आसन से चोरी हुई थी। और जहाँ से वह फेंकी गई थी, वहीं से पुलिस ने उसे लाकर अपने परिसर में सुरक्षित रखा था — यह बात सत्य है।”

वार्ड अध्यक्ष संगत के अनुसार यह मंदिर खुद लगभग सौ वर्षों से गुम था। इस स्थान पर केवल झाड़ियाँ थीं। पुरातत्व विभाग के सहयोग से खुदाई के बाद इसकी प्राचीनता का अध्ययन किया गया। अध्ययन से यह अनुमान लगाया गया कि यह मंदिर छठी से सातवीं शताब्दी के बीच निर्मित हुआ था।

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