PVR के अंदर कदम रखते ही कीमतें आसमान छूने लगती हैं।

क्या ये खुलेआम लूट की श्रेणी में नहीं आता?
क्या हमने ये मान लिया है कि मनोरंजन का मतलब लूट सहना ही नियति है?
क्यों बाहर ₹20 की चीज अंदर ₹250 में मिलती है , और सरकार चुप है?

#PVR #entertainment #movies #scrolllink
PVR के अंदर कदम रखते ही कीमतें आसमान छूने लगती हैं। क्या ये खुलेआम लूट की श्रेणी में नहीं आता? क्या हमने ये मान लिया है कि मनोरंजन का मतलब लूट सहना ही नियति है? क्यों बाहर ₹20 की चीज अंदर ₹250 में मिलती है , और सरकार चुप है? #PVR #entertainment #movies #scrolllink
0 Commenti 0 condivisioni 280 Views 0 Anteprima