"ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ" के दिव्य "वचन"
२) अपने आप को पवित्र जानो क्योंकि ईश्वर नें तुमको पवित्र ही बनाया है तथापि पापों से मुक्ति के लिए पंच तत्वों का प्रार्थना सहित प्रयोग करो। जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, वायु सबमें तुम्हारे पापों को सोखने की क्षमता है क्योंकि ईश्वर नें ये कार्य इनको दिया है।
२) अपने आप को पवित्र जानो क्योंकि ईश्वर नें तुमको पवित्र ही बनाया है तथापि पापों से मुक्ति के लिए पंच तत्वों का प्रार्थना सहित प्रयोग करो। जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, वायु सबमें तुम्हारे पापों को सोखने की क्षमता है क्योंकि ईश्वर नें ये कार्य इनको दिया है।
"ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ" के दिव्य "वचन"
२) अपने आप को पवित्र जानो क्योंकि ईश्वर नें तुमको पवित्र ही बनाया है तथापि पापों से मुक्ति के लिए पंच तत्वों का प्रार्थना सहित प्रयोग करो। जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, वायु सबमें तुम्हारे पापों को सोखने की क्षमता है क्योंकि ईश्वर नें ये कार्य इनको दिया है।