ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ के दिव्य वचन

४) तुमको जीवन में विश्राम हेतु नहीं, काम हेतु भेजा गया है। मृत्यु विश्राम ले कर आ रही है, किन्तु चिंता करना! तुम ईश्वर से क्या कहोगे की तुमने सृष्टि को कैसा पाया और क्या योगदान दिया?
ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ के दिव्य वचन ४) तुमको जीवन में विश्राम हेतु नहीं, काम हेतु भेजा गया है। मृत्यु विश्राम ले कर आ रही है, किन्तु चिंता करना! तुम ईश्वर से क्या कहोगे की तुमने सृष्टि को कैसा पाया और क्या योगदान दिया?
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