भरतमुनि के अनुसार, नाट्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन के रहस्यों को व्यक्त करने का माध्यम है। यह ब्रह्मा द्वारा रचित एक दिव्य वेद है, जिसमें ऋग्वेद से शब्द, सामवेद से संगीत, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से भाव लिए गए हैं। नृत्य और नाटक के माध्यम से मनुष्य ईश्वर के लीला रूप को अनुभव करता है, और रस के माध्यम से आनंद की अनुभूति करता है यही नाट्य का परम उद्देश्य है।

#NatyaShastra #BharataMuni #NrityaSadhna #DanceOfDivinity
#IndianClassicalDance #SacredExpression #BhavAbhinaya
#AncientWisdom #BharatanatyamSoul #SpiritualRhythm #ArtOfLife

भरतमुनि के अनुसार, नाट्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन के रहस्यों को व्यक्त करने का माध्यम है। यह ब्रह्मा द्वारा रचित एक दिव्य वेद है, जिसमें ऋग्वेद से शब्द, सामवेद से संगीत, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से भाव लिए गए हैं। नृत्य और नाटक के माध्यम से मनुष्य ईश्वर के लीला रूप को अनुभव करता है, और रस के माध्यम से आनंद की अनुभूति करता है यही नाट्य का परम उद्देश्य है। #NatyaShastra #BharataMuni #NrityaSadhna #DanceOfDivinity #IndianClassicalDance #SacredExpression #BhavAbhinaya #AncientWisdom #BharatanatyamSoul #SpiritualRhythm #ArtOfLife
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