ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ के दिव्य वचन
७) ईश्वर का आभार व्यक्त करने के लिए तुम पत्थरों पर पत्थर रख कर एक ढेर बनाओ या फिर मंदिर, मठ, पूजाघर। ईश्वर तुम्हारे प्रेम के कारण सबको एक सा ही देखता है और तुम्हारे सुन्दर प्रयासों पर मुस्कुराता है।
७) ईश्वर का आभार व्यक्त करने के लिए तुम पत्थरों पर पत्थर रख कर एक ढेर बनाओ या फिर मंदिर, मठ, पूजाघर। ईश्वर तुम्हारे प्रेम के कारण सबको एक सा ही देखता है और तुम्हारे सुन्दर प्रयासों पर मुस्कुराता है।
ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ के दिव्य वचन
७) ईश्वर का आभार व्यक्त करने के लिए तुम पत्थरों पर पत्थर रख कर एक ढेर बनाओ या फिर मंदिर, मठ, पूजाघर। ईश्वर तुम्हारे प्रेम के कारण सबको एक सा ही देखता है और तुम्हारे सुन्दर प्रयासों पर मुस्कुराता है।
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