शुक्रनीतिसार में शुक्राचार्य का कथन है-
त्यक्तस्वधर्माचरणा निर्घृणा: परपीडका: ।
चण्डाश्चहिंसका नित्यं म्लेच्छास्ते ह्यविवेकिन: ॥ ४४ ॥
(अर्थ- जिन्होंने अपने धर्म का आचरण करना छोड़ दिया हो, जो निर्घृण हैं, दूसरों को कष्ट पहुँचाते हैं, क्रोध करते हैं, नित्य हिंसा करते हैं, अविवेकी हैं - वे म्लेच्छ हैं।) #Mlechchh
त्यक्तस्वधर्माचरणा निर्घृणा: परपीडका: ।
चण्डाश्चहिंसका नित्यं म्लेच्छास्ते ह्यविवेकिन: ॥ ४४ ॥
(अर्थ- जिन्होंने अपने धर्म का आचरण करना छोड़ दिया हो, जो निर्घृण हैं, दूसरों को कष्ट पहुँचाते हैं, क्रोध करते हैं, नित्य हिंसा करते हैं, अविवेकी हैं - वे म्लेच्छ हैं।) #Mlechchh
शुक्रनीतिसार में शुक्राचार्य का कथन है-
त्यक्तस्वधर्माचरणा निर्घृणा: परपीडका: ।
चण्डाश्चहिंसका नित्यं म्लेच्छास्ते ह्यविवेकिन: ॥ ४४ ॥
(अर्थ- जिन्होंने अपने धर्म का आचरण करना छोड़ दिया हो, जो निर्घृण हैं, दूसरों को कष्ट पहुँचाते हैं, क्रोध करते हैं, नित्य हिंसा करते हैं, अविवेकी हैं - वे म्लेच्छ हैं।) #Mlechchh
