• राउलाने महोत्सव (Raulane Festival)
    राउलाने महोत्सव: किन्नौर की एक अदृश्य परंपरा
    राउलाने महोत्सव भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर क्षेत्र में मनाया जाने वाला एक अनूठा और प्राचीन त्योहार है। यह स्थानीय संस्कृति और प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
    महोत्सव का मूल उद्देश्य
    * देवियों और आत्माओं का सम्मान: यह त्योहार मुख्य रूप से स्थानीय पहाड़ी परियों या आत्माओं, जिन्हें सऊनी (Sauni) या देवणे (Deohne) कहा जाता है, को समर्पित है।
    * शीतकालीन सुरक्षा के लिए धन्यवाद: किन्नौरी लोगों का मानना है कि ये आत्माएं कठोर सर्दियों के दौरान उनकी और उनके गाँवों की रक्षा करने के लिए स्वर्ग से उतरती हैं।
    * समारोहिक विदाई: यह महोत्सव वसंत ऋतु के आगमन पर इन आत्माओं को उनके निवास स्थान पर वापस भेजने के लिए एक भावभीनी विदाई समारोह के रूप में आयोजित किया जाता है, जिसमें उनकी सुरक्षा के लिए धन्यवाद दिया जाता है।
    'राउला' और 'राउलाने' की भूमिका
    इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और विशिष्ट पहलू प्रतीकात्मक दूल्हा और दुल्हन हैं:
    * राउला (दूल्हा) और राउलाने (दुल्हन): गाँव के दो पुरुषों को इन रस्मों को निभाने के लिए चुना जाता है।
    * रहस्यमय वेशभूषा: दोनों पुरुष पारम्परिक, भारी किन्नौरी ऊनी वस्त्र पहनते हैं। वे पूरी तरह से ढके होते हैं, और सबसे खास बात यह है कि वे नकाब (मास्क) और दस्ताने पहनते हैं। यह वेशभूषा उन्हें मानव और आध्यात्मिक दुनिया के बीच एक सेतु (पुल) के रूप में बदल देती है।
    * राउलाने (दुल्हन) को पारंपरिक महिलाओं के आभूषणों और वेशभूषा से सजाया जाता है।
    * राउला (दूल्हा) अपने चेहरे को लाल कपड़े या मास्क से ढक लेता है।
    प्रमुख अनुष्ठान
    * नृत्य: इस अनुष्ठान का केंद्र बिंदु नागिन नारायण मंदिर जैसे स्थानीय मंदिर के पास राउला और राउलाने द्वारा किया जाने वाला धीमा, जानबूझकर और रहस्यमय नृत्य है। यह मूक (शांत) नृत्य स्थानीय समुदाय और सऊनी आत्माओं के बीच संवाद का माध्यम माना जाता है।


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    राउलाने महोत्सव (Raulane Festival) ⛰️ राउलाने महोत्सव: किन्नौर की एक अदृश्य परंपरा राउलाने महोत्सव भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर क्षेत्र में मनाया जाने वाला एक अनूठा और प्राचीन त्योहार है। यह स्थानीय संस्कृति और प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है। 🌟 महोत्सव का मूल उद्देश्य * देवियों और आत्माओं का सम्मान: यह त्योहार मुख्य रूप से स्थानीय पहाड़ी परियों या आत्माओं, जिन्हें सऊनी (Sauni) या देवणे (Deohne) कहा जाता है, को समर्पित है। * शीतकालीन सुरक्षा के लिए धन्यवाद: किन्नौरी लोगों का मानना है कि ये आत्माएं कठोर सर्दियों के दौरान उनकी और उनके गाँवों की रक्षा करने के लिए स्वर्ग से उतरती हैं। * समारोहिक विदाई: यह महोत्सव वसंत ऋतु के आगमन पर इन आत्माओं को उनके निवास स्थान पर वापस भेजने के लिए एक भावभीनी विदाई समारोह के रूप में आयोजित किया जाता है, जिसमें उनकी सुरक्षा के लिए धन्यवाद दिया जाता है। 🎭 'राउला' और 'राउलाने' की भूमिका इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और विशिष्ट पहलू प्रतीकात्मक दूल्हा और दुल्हन हैं: * राउला (दूल्हा) और राउलाने (दुल्हन): गाँव के दो पुरुषों को इन रस्मों को निभाने के लिए चुना जाता है। * रहस्यमय वेशभूषा: दोनों पुरुष पारम्परिक, भारी किन्नौरी ऊनी वस्त्र पहनते हैं। वे पूरी तरह से ढके होते हैं, और सबसे खास बात यह है कि वे नकाब (मास्क) और दस्ताने पहनते हैं। यह वेशभूषा उन्हें मानव और आध्यात्मिक दुनिया के बीच एक सेतु (पुल) के रूप में बदल देती है। * राउलाने (दुल्हन) को पारंपरिक महिलाओं के आभूषणों और वेशभूषा से सजाया जाता है। * राउला (दूल्हा) अपने चेहरे को लाल कपड़े या मास्क से ढक लेता है। ✨ प्रमुख अनुष्ठान * नृत्य: इस अनुष्ठान का केंद्र बिंदु नागिन नारायण मंदिर जैसे स्थानीय मंदिर के पास राउला और राउलाने द्वारा किया जाने वाला धीमा, जानबूझकर और रहस्यमय नृत्य है। यह मूक (शांत) नृत्य स्थानीय समुदाय और सऊनी आत्माओं के बीच संवाद का माध्यम माना जाता है। #raulane #festival #kinnaur #himachal #scrolllink
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  • Traditional outfit of Kinnaur,
    Today we see diversity of religion globally but if we dive deep we see many similarities among them.
    For ex., this veil which the lady in the portrait is wearing during wedding ceremony you'll see such similarity in other religion as well.
    If you think deeply well you must think deeply and find why there's similarity?
    Is it because people are same or the origin of all traditions comes from the same source?
    Traditional outfit of Kinnaur, Today we see diversity of religion globally but if we dive deep we see many similarities among them. For ex., this veil which the lady in the portrait is wearing during wedding ceremony you'll see such similarity in other religion as well. If you think deeply well you must think deeply and find why there's similarity? Is it because people are same or the origin of all traditions comes from the same source?
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  • हिमालय

    #kinnaur #recongpeo #KinnerKailash
    हिमालय 🕉️😍 #kinnaur #recongpeo #KinnerKailash
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