क्या आप जानते हैं कि हमारा मस्तिष्क नकारात्मक बातों को सकारात्मक बातों से ज्यादा लंबा समय तक याद रखता है? वैज्ञानिकों के अनुसार, जब हम अपमान सुनते हैं तो मस्तिष्क के डर और सुरक्षा केंद्र सक्रिय हो जाते हैं, जिससे वह अनुभव गहराई तक दर्ज हो जाता है।
इसके बाद मानसिक तनाव हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो इन यादों को दशकों तक टिकाए रखते हैं। जबकि प्रशंसा या तारीफ, मस्तिष्क के पुरस्कार केंद्रों को कुछ समय के लिए ही सक्रिय करती है और जल्द ही भूल जाती है।
यह मानसिक प्रक्रिया जिसे 'नकारात्मकता पक्षपात' कहा जाता है, हमें खतरों से बचाने के लिए विकसित हुई है।
इसलिए, सकारात्मक शब्दों की भी उतनी ही ताकत होती है जितनी नकारात्मक शब्दों की , बस उन्हें याद रखने की जरूरत है।
क्या आपने भी ऐसा कभी अनुभव किया है???
#nagativity #scrolllink #mind #brain #human #science
इसके बाद मानसिक तनाव हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो इन यादों को दशकों तक टिकाए रखते हैं। जबकि प्रशंसा या तारीफ, मस्तिष्क के पुरस्कार केंद्रों को कुछ समय के लिए ही सक्रिय करती है और जल्द ही भूल जाती है।
यह मानसिक प्रक्रिया जिसे 'नकारात्मकता पक्षपात' कहा जाता है, हमें खतरों से बचाने के लिए विकसित हुई है।
इसलिए, सकारात्मक शब्दों की भी उतनी ही ताकत होती है जितनी नकारात्मक शब्दों की , बस उन्हें याद रखने की जरूरत है।
क्या आपने भी ऐसा कभी अनुभव किया है???
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क्या आप जानते हैं कि हमारा मस्तिष्क नकारात्मक बातों को सकारात्मक बातों से ज्यादा लंबा समय तक याद रखता है? वैज्ञानिकों के अनुसार, जब हम अपमान सुनते हैं तो मस्तिष्क के डर और सुरक्षा केंद्र सक्रिय हो जाते हैं, जिससे वह अनुभव गहराई तक दर्ज हो जाता है।
इसके बाद मानसिक तनाव हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो इन यादों को दशकों तक टिकाए रखते हैं। जबकि प्रशंसा या तारीफ, मस्तिष्क के पुरस्कार केंद्रों को कुछ समय के लिए ही सक्रिय करती है और जल्द ही भूल जाती है।
यह मानसिक प्रक्रिया जिसे 'नकारात्मकता पक्षपात' कहा जाता है, हमें खतरों से बचाने के लिए विकसित हुई है।
इसलिए, सकारात्मक शब्दों की भी उतनी ही ताकत होती है जितनी नकारात्मक शब्दों की , बस उन्हें याद रखने की जरूरत है।
क्या आपने भी ऐसा कभी अनुभव किया है???
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