• ये लो एक और न्यूज़ पेपर में आ गया, अब तो हर जगह यही दिखाई देने लगा है।

    मिश्रा जी ने अकेले ही करोड़ों को औकात में ला दिया।ये होता है ब्राह्मण पावर

    #BnMishra #sambidhanNirmata #scrolllink
    ये लो एक और न्यूज़ पेपर में आ गया, अब तो हर जगह यही दिखाई देने लगा है। मिश्रा जी ने अकेले ही करोड़ों को औकात में ला दिया।ये होता है ब्राह्मण पावर 💪😝 #BnMishra #sambidhanNirmata #scrolllink
    0 Comments 0 Shares 2 Views 0 Reviews
  • वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल और बदल रहे भारतीय परिवेश में इस समय BN राव जी सिर्फ एक नाम नहीं वाकई में एक ब्रांड बन चुके हैं...

    यह वो पुख्ता सबूत हैं जो प्रमाणित करते हैं कि संविधान निर्माता B N राव जी ही थे।

    लेकिन हमारे देश में जातिवाद की राजनीति के लिए बेवजह ही ये भ्रम फैलाया गया कि संविधान सिर्फ अम्बेडकर जी ने अकेले लिखा या संविधान निर्माता सिर्फ अम्बेडकर जी हैं।

    B N राव जी का भी संविधान निर्माण में उतना ही योगदान है जितना कि अम्बेडकर जी का रहा है।

    26 नम्बर1949 को संविधान पर साइन हुआ उसके एक दिन पहले यानी 25 नम्बर 1949 को ये बात खुद अम्बेडकर जी ने बोली थी।

    सत्य को ज्यादा दिन तक छुपा कर नहीं रखा जा सकता

    जो सच्चाई है जो इतिहास में लिखा है एक दिन बाहर जरूर आएगा।

    और इस देश में बोलने की आजादी है इसलिए बोलिए और लिखिए। यह कोई अपराध नहीं अपना इतिहास जानना हम सबको बहुत जरूरी है।

    आज पूरा देश उन्हें संविधान निर्माता BN राव के रूप में याद कर रहा है। उनकी दूरदर्शिता, संविधान की रक्षा और
    लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ने इस भारत देश की नींव मजबूत की है।

    भाई, आज हम सिर्फ लीड पर नहीं हैं बल्कि, ये भी दिखा रहे हैं कि... किसी इंसान का सच्चा योगदान और
    समर्पण कभी भी छुप नहीं सकता जिसका प्रमाण BN राव सर हैं!

    भ्रम फैलाने वालों को कानूनी सबक सिखाना अत्यंत जरूरी है

    #संविधान_निर्माता_BN_राव
    #sambidhan #constitution #brAmbedkar #BNrao #scrolllink
    वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल और बदल रहे भारतीय परिवेश में इस समय BN राव जी सिर्फ एक नाम नहीं वाकई में एक ब्रांड बन चुके हैं... यह वो पुख्ता सबूत हैं जो प्रमाणित करते हैं कि संविधान निर्माता B N राव जी ही थे। लेकिन हमारे देश में जातिवाद की राजनीति के लिए बेवजह ही ये भ्रम फैलाया गया कि संविधान सिर्फ अम्बेडकर जी ने अकेले लिखा या संविधान निर्माता सिर्फ अम्बेडकर जी हैं। B N राव जी का भी संविधान निर्माण में उतना ही योगदान है जितना कि अम्बेडकर जी का रहा है। 26 नम्बर1949 को संविधान पर साइन हुआ उसके एक दिन पहले यानी 25 नम्बर 1949 को ये बात खुद अम्बेडकर जी ने बोली थी। सत्य को ज्यादा दिन तक छुपा कर नहीं रखा जा सकता जो सच्चाई है जो इतिहास में लिखा है एक दिन बाहर जरूर आएगा। और इस देश में बोलने की आजादी है इसलिए बोलिए और लिखिए। यह कोई अपराध नहीं अपना इतिहास जानना हम सबको बहुत जरूरी है। आज पूरा देश उन्हें संविधान निर्माता BN राव के रूप में याद कर रहा है। उनकी दूरदर्शिता, संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ने इस भारत देश की नींव मजबूत की है। भाई, आज हम सिर्फ लीड पर नहीं हैं बल्कि, ये भी दिखा रहे हैं कि... किसी इंसान का सच्चा योगदान और समर्पण कभी भी छुप नहीं सकता जिसका प्रमाण BN राव सर हैं! 🇮🇳🚩 भ्रम फैलाने वालों को कानूनी सबक सिखाना अत्यंत जरूरी है #संविधान_निर्माता_BN_राव #sambidhan #constitution #brAmbedkar #BNrao #scrolllink
    Like
    2
    0 Comments 0 Shares 224 Views 0 Reviews
  • एडवोकेट अनिल मिश्रा का यह बयान आज की तथाकथित विचारधारा पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा — “मूर्ति के विरोधी की मूर्ति का विरोध करना गलत कैसे हो गया? पंडित हूँ, किसी से नहीं डरता हूँ। गलत का विरोध करने की इजाजत हमें संविधान देता है।”
    यह वक्तव्य उस समाज पर सवाल उठाता है जो खुद को "मूर्तिपूजक विरोधी" बताता है लेकिन अपने विचारधारा के प्रतीकों की मूर्तियाँ स्थापित करता है। अगर किसी व्यक्ति को किसी विचार या मूर्ति का विरोध करने का अधिकार नहीं होगा, तो अभिव्यक्ति की आज़ादी का क्या अर्थ रह जाएगा?
    अनिल मिश्रा का यह कहना न केवल साहस का प्रतीक है बल्कि यह भी दर्शाता है कि विरोध करना अपराध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की पहचान है। संविधान हर नागरिक को गलत के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार देता है — और यही असली संविधान की आत्मा है।

    #sambidhan #scstAct #Bheemate #neelchatte #neelaand
    एडवोकेट अनिल मिश्रा का यह बयान आज की तथाकथित विचारधारा पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा — “मूर्ति के विरोधी की मूर्ति का विरोध करना गलत कैसे हो गया? पंडित हूँ, किसी से नहीं डरता हूँ। गलत का विरोध करने की इजाजत हमें संविधान देता है।” यह वक्तव्य उस समाज पर सवाल उठाता है जो खुद को "मूर्तिपूजक विरोधी" बताता है लेकिन अपने विचारधारा के प्रतीकों की मूर्तियाँ स्थापित करता है। अगर किसी व्यक्ति को किसी विचार या मूर्ति का विरोध करने का अधिकार नहीं होगा, तो अभिव्यक्ति की आज़ादी का क्या अर्थ रह जाएगा? अनिल मिश्रा का यह कहना न केवल साहस का प्रतीक है बल्कि यह भी दर्शाता है कि विरोध करना अपराध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की पहचान है। संविधान हर नागरिक को गलत के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार देता है — और यही असली संविधान की आत्मा है। #sambidhan #scstAct #Bheemate #neelchatte #neelaand
    Like
    2
    0 Comments 0 Shares 220 Views 0 Reviews