अमित मालवीय ने अनिल मिश्रा को जातिवादी कहकर ट्वीट किया, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। मालवीय को लगा था कि मिश्रा को "कांग्रेसी" या "जातिवादी" बोलते ही सवर्ण समाज उन्हें चमचा कहकर गालियां देगा। लेकिन हुआ उल्टा! अनिल मिश्रा का समर्थन न सिर्फ सवर्ण, बल्कि हर जाति के लोग कर रहे हैं, जो नीली टोपी वाली नफरती भीम आर्मी गैंग और वैचारिक जहर से तंग आ चुके हैं। बीजेपी को लगता था कि वे हमेशा की तरह हिंदू चूरन चटाकर सवर्णों को मूर्ख बना लेंगे, लेकिन इस बार जनता ने उनके दांव को उल्टा कर दिया।
मुसलमान वोट देते नहीं, "नीले कबूतर" समर्थन देते नहीं, और अब सवर्ण, जो बीजेपी की सरकार बनाते थे, उन्हें ही मालवीय "जातिवादी" कहकर ठेस पहुंचा रहे हैं। अनिल मिश्रा तार्किक बातें करते हैं, जो अपीलमेंट के खिलाफ हैं, और यही वजह है कि विचारधारा से चलने वाले उनका साथ दे रहे हैं, न कि आइटी सेल के प्यादे। बीजेपी का ये दांव फेल हो गया। मालवीय के एक ट्वीट ने सवर्ण हिंदुओं और बाकी पक्के वोटरों को पार्टी से दूर कर दिया। अब लोग तेजी से बीजेपी से किनारा कर रहे हैं, क्योंकि जनता को सच चाहिए, न कि नफरत भरा प्रोपेगेंडा। मिश्रा का साथ हर वो शख्स दे रहा है, जो नफरत और जातिवादी सियासत से ऊब चुका है।
भजपाई IT सेल मुखिया अमित मालवीय ने सोचा था कि जैसे मैं मिश्रा जी का कनेक्शन कांग्रेस से निकालूंगा तुरंत पूरा हिन्दू मिश्रा जी कोंग्रेसी कहकर गद्दार कहकर गाली देने लगेगा लेकिन भजपाई भूल गए कि ये संघर्ष वैचारिक है ना कि पार्टी की गुलामी की इस संघर्ष में पार्टियों से कोई लेना देना नही है चाहे जो जिस पार्टी से हो लेकिन हमें इस नीली उपद्रवी भीम गैंग से शांति चाहिए इन उपद्रवियों ने बाबा साहब का नाम ले लेकर सवर्णो को गाली देवी देवताओं को गाली भगवान का अपमान कोई कितना झेलेगा इन उपद्रवियों कोई ना कोई तो इन नीली आतताइयों के खिलाफ आवाज उठाएगा ही
अमित मालवीय ने अनिल मिश्रा को जातिवादी कहकर ट्वीट किया, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। मालवीय को लगा था कि मिश्रा को "कांग्रेसी" या "जातिवादी" बोलते ही सवर्ण समाज उन्हें चमचा कहकर गालियां देगा। लेकिन हुआ उल्टा! अनिल मिश्रा का समर्थन न सिर्फ सवर्ण, बल्कि हर जाति के लोग कर रहे हैं, जो नीली टोपी वाली नफरती भीम आर्मी गैंग और वैचारिक जहर से तंग आ चुके हैं। बीजेपी को लगता था कि वे हमेशा की तरह हिंदू चूरन चटाकर सवर्णों को मूर्ख बना लेंगे, लेकिन इस बार जनता ने उनके दांव को उल्टा कर दिया।
मुसलमान वोट देते नहीं, "नीले कबूतर" समर्थन देते नहीं, और अब सवर्ण, जो बीजेपी की सरकार बनाते थे, उन्हें ही मालवीय "जातिवादी" कहकर ठेस पहुंचा रहे हैं। अनिल मिश्रा तार्किक बातें करते हैं, जो अपीलमेंट के खिलाफ हैं, और यही वजह है कि विचारधारा से चलने वाले उनका साथ दे रहे हैं, न कि आइटी सेल के प्यादे। बीजेपी का ये दांव फेल हो गया। मालवीय के एक ट्वीट ने सवर्ण हिंदुओं और बाकी पक्के वोटरों को पार्टी से दूर कर दिया। अब लोग तेजी से बीजेपी से किनारा कर रहे हैं, क्योंकि जनता को सच चाहिए, न कि नफरत भरा प्रोपेगेंडा। मिश्रा का साथ हर वो शख्स दे रहा है, जो नफरत और जातिवादी सियासत से ऊब चुका है।
भजपाई IT सेल मुखिया अमित मालवीय ने सोचा था कि जैसे मैं मिश्रा जी का कनेक्शन कांग्रेस से निकालूंगा तुरंत पूरा हिन्दू मिश्रा जी कोंग्रेसी कहकर गद्दार कहकर गाली देने लगेगा लेकिन भजपाई भूल गए कि ये संघर्ष वैचारिक है ना कि पार्टी की गुलामी की इस संघर्ष में पार्टियों से कोई लेना देना नही है चाहे जो जिस पार्टी से हो लेकिन हमें इस नीली उपद्रवी भीम गैंग से शांति चाहिए इन उपद्रवियों ने बाबा साहब का नाम ले लेकर सवर्णो को गाली देवी देवताओं को गाली भगवान का अपमान कोई कितना झेलेगा इन उपद्रवियों कोई ना कोई तो इन नीली आतताइयों के खिलाफ आवाज उठाएगा ही