Siddha Parva Tithi Tyohar Pujan
Siddha Parva Tithi Tyohar Pujan
“This page has been created to provide information about the dates, festivals, fairs, rituals, auspicious timings, etc. observed according to the Siddha Dharma tradition. You can also participate in these worships and rituals online.”
This page is managed by the 'International Kaulantak Siddha Vidya Peeth'.
  • PBID: 0099001900000006
  • 23 Les gens qui ont lié ça
  • 35 Articles
  • 90 Photos
  • 3 Vidéos
  • 4 Aperçu 5.0
  • Spiritual
  • IKSVP
  • himachal pradesh
Rechercher
Mises à jour récentes
  • Maya Search ingine is here now. pl check: https://mayaworldweb.com/

    #maya #mayaSearch #scrolllink #MayaSearchIngine
    Maya Search ingine is here now. pl check: https://mayaworldweb.com/ #maya #mayaSearch #scrolllink #MayaSearchIngine
    Love
    Like
    7
    0 Commentaires 1 Parts 482 Vue 0 Aperçu
  • संभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) में होने वाले भैरव नृत्य की भी आज से तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का तीसरा दिन है। भैरव नृत्य अभ्यास की कुछ तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं।

    #SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePics
    संभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) में होने वाले भैरव नृत्य की भी आज से तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का तीसरा दिन है। भैरव नृत्य अभ्यास की कुछ तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं। #SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePics
    Love
    Like
    5
    0 Commentaires 1 Parts 1KB Vue 0 Aperçu
  • माँ चंद्रघंटा देवी नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं और नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी आराधना की जाती है। वे अपने दिव्य तेज और निर्भीक स्वरूप के लिए जानी जाती हैं, जो शौर्य, सौम्यता और संरक्षण का प्रतीक है। "चंद्रघंटा" नाम उनके मस्तक पर स्थित अर्धचंद्र से लिया गया है, जो घंटे के समान प्रतीत होता है। माँ का वाहन सिंह अथवा बाघ है, और वे दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र एवं शक्ति के प्रतीक धारण किए हुए दिखाई देती हैं, जिससे वे दुष्टों का नाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। यह माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को साहस, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही भय, बाधाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। उनकी पूजा हमें धर्म के मार्ग पर अडिग रहकर निर्भीक और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

    #chandraghanta #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga
    माँ चंद्रघंटा देवी नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं और नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी आराधना की जाती है। वे अपने दिव्य तेज और निर्भीक स्वरूप के लिए जानी जाती हैं, जो शौर्य, सौम्यता और संरक्षण का प्रतीक है। "चंद्रघंटा" नाम उनके मस्तक पर स्थित अर्धचंद्र से लिया गया है, जो घंटे के समान प्रतीत होता है। माँ का वाहन सिंह अथवा बाघ है, और वे दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र एवं शक्ति के प्रतीक धारण किए हुए दिखाई देती हैं, जिससे वे दुष्टों का नाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। यह माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को साहस, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही भय, बाधाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। उनकी पूजा हमें धर्म के मार्ग पर अडिग रहकर निर्भीक और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। #chandraghanta #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga
    Love
    2
    0 Commentaires 0 Parts 1KB Vue 0 Aperçu
  • 'माँ ब्रह्मचारिणी देवी' नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में 'नवरात्रि' के दौरान पूजी जाती हैं। "ब्रह्मचारिणी" नाम का अर्थ है वह जो तपस्या करती हैं और भक्ति एवं अनुशासन के मार्ग पर चलती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सरल है, हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं, जो ज्ञान, सादगी और तपस्या का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या की थी, जो धैर्य, शक्ति और दृढ़ संकल्प का अद्वितीय उदाहरण है। भक्त मानते हैं कि माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में शांति, सद्गुण और कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त होती है, साथ ही यह साधकों को सत्य, आत्मसंयम और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

    #brahmacharini #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga
    'माँ ब्रह्मचारिणी देवी' नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में 'नवरात्रि' के दौरान पूजी जाती हैं। "ब्रह्मचारिणी" नाम का अर्थ है वह जो तपस्या करती हैं और भक्ति एवं अनुशासन के मार्ग पर चलती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सरल है, हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं, जो ज्ञान, सादगी और तपस्या का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या की थी, जो धैर्य, शक्ति और दृढ़ संकल्प का अद्वितीय उदाहरण है। भक्त मानते हैं कि माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में शांति, सद्गुण और कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त होती है, साथ ही यह साधकों को सत्य, आत्मसंयम और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। #brahmacharini #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga
    Love
    Like
    5
    0 Commentaires 0 Parts 1KB Vue 0 Aperçu
  • संभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) की तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का दूसरा दिन है। आइये कुछ लाइव तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं। सभी का उत्साह देखते ही बनता है। बहुत ही जोश के साथ अभ्यास आगे बढ़ रहा है। कुछ और भैरव-भैरवी भी 2 दिनों में पहुंचने वाले हैं।

    #SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePics
    संभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) की तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का दूसरा दिन है। आइये कुछ लाइव तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं। सभी का उत्साह देखते ही बनता है। बहुत ही जोश के साथ अभ्यास आगे बढ़ रहा है। कुछ और भैरव-भैरवी भी 2 दिनों में पहुंचने वाले हैं। #SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePics
    Love
    Like
    5
    0 Commentaires 0 Parts 1KB Vue 0 Aperçu
  • ------दुर्गा सप्तशती-----
    दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का एक महान ग्रंथ है, जिसे मार्कण्डेय पुराण का अंग माना जाता है। इसे चण्डी पाठ या देवी महात्म्य के नाम से भी जाना जाता है। इसमें १३ अध्याय और ७०० श्लोक हैं, इसीलिए इसका नाम सप्तशती पड़ा। यह ग्रंथ शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम आधार है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनकी लीलाओं और असुरों पर विजय की महिमा का वर्णन मिलता है।

    दुर्गा सप्तशती में देवी के तीन प्रमुख स्वरूपों—महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती—का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। इसमें महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड-मुण्ड और अन्य राक्षसों के वध की कथा आती है, जो यह सिद्ध करती है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब देवी अपने रूपों में प्रकट होकर धर्म की रक्षा करती हैं।

    नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। श्रद्धालु इसे पढ़कर अपने जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक बल और मानसिक शांति प्रदान करने वाला भी है।

    #DurgaSaptashati #Duragapuja #Kurukulla #navaratri #chandiPath #scrolllink
    ------दुर्गा सप्तशती----- दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का एक महान ग्रंथ है, जिसे मार्कण्डेय पुराण का अंग माना जाता है। इसे चण्डी पाठ या देवी महात्म्य के नाम से भी जाना जाता है। इसमें १३ अध्याय और ७०० श्लोक हैं, इसीलिए इसका नाम सप्तशती पड़ा। यह ग्रंथ शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम आधार है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनकी लीलाओं और असुरों पर विजय की महिमा का वर्णन मिलता है। दुर्गा सप्तशती में देवी के तीन प्रमुख स्वरूपों—महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती—का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। इसमें महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड-मुण्ड और अन्य राक्षसों के वध की कथा आती है, जो यह सिद्ध करती है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब देवी अपने रूपों में प्रकट होकर धर्म की रक्षा करती हैं। नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। श्रद्धालु इसे पढ़कर अपने जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक बल और मानसिक शांति प्रदान करने वाला भी है। #DurgaSaptashati #Duragapuja #Kurukulla #navaratri #chandiPath #scrolllink
    Love
    4
    0 Commentaires 0 Parts 1KB Vue 23 0 Aperçu
  • शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम मानी जाती हैं और नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है। इनका जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ हुआ था, इस कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें पार्वती और हेमवती नामों से भी जाना जाता है। माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएँ हाथ में कमल रहता है और ये वृषभ पर सवारी करती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। शैलपुत्री देवी को शक्ति, संयम और भक्ति की प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु इनकी उपासना कर जीवन में स्थिरता, शांति और मंगल की प्राप्ति करते हैं।

    #shailaputri #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra
    शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम मानी जाती हैं और नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है। इनका जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ हुआ था, इस कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें पार्वती और हेमवती नामों से भी जाना जाता है। माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएँ हाथ में कमल रहता है और ये वृषभ पर सवारी करती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। शैलपुत्री देवी को शक्ति, संयम और भक्ति की प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु इनकी उपासना कर जीवन में स्थिरता, शांति और मंगल की प्राप्ति करते हैं। #shailaputri #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra
    Love
    5
    0 Commentaires 0 Parts 907 Vue 0 Aperçu
  • Love
    3
    0 Commentaires 0 Parts 282 Vue 0 Aperçu
  • Love
    Like
    4
    0 Commentaires 0 Parts 280 Vue 0 Aperçu
  • सम्भल साम्राज्य दिवस (कुरुकुल्ला प्राकट्योत्सव) के लिए कुछ भैरव गण भी आज यहाँ पहुंच गए। कल सुबह से उनका अभ्यास क्रम शुरू होगा। सभी ने आज श्राद्ध पूजन संपन्न किया। आप सभी भैरव-भैरवियों के पितरों हेतु भी महासिद्ध ईशपुत्र ने पूजन व प्रार्थना की। प्रस्तुत है आपके लिए कुछ विशेष चित्र।

    #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp
    सम्भल साम्राज्य दिवस (कुरुकुल्ला प्राकट्योत्सव) के लिए कुछ भैरव गण भी आज यहाँ पहुंच गए। कल सुबह से उनका अभ्यास क्रम शुरू होगा। सभी ने आज श्राद्ध पूजन संपन्न किया। आप सभी भैरव-भैरवियों के पितरों हेतु भी महासिद्ध ईशपुत्र ने पूजन व प्रार्थना की। प्रस्तुत है आपके लिए कुछ विशेष चित्र। #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp
    Love
    Like
    4
    0 Commentaires 0 Parts 840 Vue 0 Aperçu
  • आज की रात्रि सोने की रात्रि नहीं है अपितु साधना मंत्र जाप की रात्रि है।

    #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp
    आज की रात्रि सोने की रात्रि नहीं है अपितु साधना मंत्र जाप की रात्रि है। #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp
    Love
    Like
    5
    0 Commentaires 1 Parts 881 Vue 0 Aperçu
  • 12) सब समाप्त होने के बाद सभी पत्तों को एक थाली में उठा कर रख दें. 18 पत्तों में से एक पत्ता ग्रास गौ माता का और एक कुत्ते का होता है। ये सभी पत्ते पशु-पक्षियों को या जल में मछलियों को प्रदान करें।
    Q-क्या मैं रात को ये पूजा विधि कर सकता हूँ? A-आज रात्रि 4 बजे तक आप ये प्रयोग कर सकते हैं।
    Q-मेरे पास पूरी सामग्रियां नहीं है क्या करूँ? A-जीतनी सामग्री है उसी से पूजन संपन्न करें, पूजन तो एक फल सेब केला आदि से भी सम्पन्न हो जायेगा।
    Q-मुझसे शायद यन्त्र ठीक न बने, क्या करूँ? A-आपको यन्त्र की केवल रूपरेखा बनानी है बीज मंत्र लिखना अनिवार्य नहीं।
    Q-क्या मैं भोजन बनाने में किसी की सहायता ले सकता हूँ? A-ले सकते हैं किन्तु पवित्रता का ध्यान रखें।
    Q-क्या मैं अभी रात्रि में करू? A-जी हाँ! ग्रहण काल में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
    Q-किस चीज़ का ध्यान रखूं? A-पूजन विधि में अपने केवल उन्हीं सम्बन्धियों का तर्पण करें जिनका स्वर्गवास हो गया हो।

    #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp
    12) सब समाप्त होने के बाद सभी पत्तों को एक थाली में उठा कर रख दें. 18 पत्तों में से एक पत्ता ग्रास गौ माता का और एक कुत्ते का होता है। ये सभी पत्ते पशु-पक्षियों को या जल में मछलियों को प्रदान करें। Q-क्या मैं रात को ये पूजा विधि कर सकता हूँ? A-आज रात्रि 4 बजे तक आप ये प्रयोग कर सकते हैं। Q-मेरे पास पूरी सामग्रियां नहीं है क्या करूँ? A-जीतनी सामग्री है उसी से पूजन संपन्न करें, पूजन तो एक फल सेब केला आदि से भी सम्पन्न हो जायेगा। Q-मुझसे शायद यन्त्र ठीक न बने, क्या करूँ? A-आपको यन्त्र की केवल रूपरेखा बनानी है बीज मंत्र लिखना अनिवार्य नहीं। Q-क्या मैं भोजन बनाने में किसी की सहायता ले सकता हूँ? A-ले सकते हैं किन्तु पवित्रता का ध्यान रखें। Q-क्या मैं अभी रात्रि में करू? A-जी हाँ! ग्रहण काल में बहुत अधिक लाभ मिलता है। Q-किस चीज़ का ध्यान रखूं? A-पूजन विधि में अपने केवल उन्हीं सम्बन्धियों का तर्पण करें जिनका स्वर्गवास हो गया हो। #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp
    Love
    Like
    4
    0 Commentaires 0 Parts 858 Vue 0 Aperçu
Plus de lecture