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“This page has been created to provide information about the dates, festivals, fairs, rituals, auspicious timings, etc. observed according to the Siddha Dharma tradition. You can also participate in these worships and rituals online.”
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We are ready for tommorrow
#shivir #Camp #Class #iksvp #kaulatakPeeth #kulantPeeth #ishaputra #SiddhaDharmaWe are ready for tommorrow 🥰 😇 🙏 #shivir #Camp #Class #iksvp #kaulatakPeeth #kulantPeeth #ishaputra #SiddhaDharma0 Комментарии 0 Поделились 1Кб Просмотры 0 предпросмотр5
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संभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) में होने वाले भैरव नृत्य की भी आज से तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का तीसरा दिन है। भैरव नृत्य अभ्यास की कुछ तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं।
#SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePicsसंभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) में होने वाले भैरव नृत्य की भी आज से तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का तीसरा दिन है। भैरव नृत्य अभ्यास की कुछ तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं। #SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePics0 Комментарии 1 Поделились 2Кб Просмотры 0 предпросмотр
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माँ चंद्रघंटा देवी नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं और नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी आराधना की जाती है। वे अपने दिव्य तेज और निर्भीक स्वरूप के लिए जानी जाती हैं, जो शौर्य, सौम्यता और संरक्षण का प्रतीक है। "चंद्रघंटा" नाम उनके मस्तक पर स्थित अर्धचंद्र से लिया गया है, जो घंटे के समान प्रतीत होता है। माँ का वाहन सिंह अथवा बाघ है, और वे दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र एवं शक्ति के प्रतीक धारण किए हुए दिखाई देती हैं, जिससे वे दुष्टों का नाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। यह माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को साहस, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही भय, बाधाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। उनकी पूजा हमें धर्म के मार्ग पर अडिग रहकर निर्भीक और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
#chandraghanta #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durgaमाँ चंद्रघंटा देवी नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं और नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी आराधना की जाती है। वे अपने दिव्य तेज और निर्भीक स्वरूप के लिए जानी जाती हैं, जो शौर्य, सौम्यता और संरक्षण का प्रतीक है। "चंद्रघंटा" नाम उनके मस्तक पर स्थित अर्धचंद्र से लिया गया है, जो घंटे के समान प्रतीत होता है। माँ का वाहन सिंह अथवा बाघ है, और वे दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र एवं शक्ति के प्रतीक धारण किए हुए दिखाई देती हैं, जिससे वे दुष्टों का नाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। यह माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को साहस, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही भय, बाधाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। उनकी पूजा हमें धर्म के मार्ग पर अडिग रहकर निर्भीक और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। #chandraghanta #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga0 Комментарии 0 Поделились 2Кб Просмотры 0 предпросмотр4
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'माँ ब्रह्मचारिणी देवी' नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में 'नवरात्रि' के दौरान पूजी जाती हैं। "ब्रह्मचारिणी" नाम का अर्थ है वह जो तपस्या करती हैं और भक्ति एवं अनुशासन के मार्ग पर चलती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सरल है, हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं, जो ज्ञान, सादगी और तपस्या का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या की थी, जो धैर्य, शक्ति और दृढ़ संकल्प का अद्वितीय उदाहरण है। भक्त मानते हैं कि माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में शांति, सद्गुण और कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त होती है, साथ ही यह साधकों को सत्य, आत्मसंयम और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
#brahmacharini #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga'माँ ब्रह्मचारिणी देवी' नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में 'नवरात्रि' के दौरान पूजी जाती हैं। "ब्रह्मचारिणी" नाम का अर्थ है वह जो तपस्या करती हैं और भक्ति एवं अनुशासन के मार्ग पर चलती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सरल है, हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं, जो ज्ञान, सादगी और तपस्या का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या की थी, जो धैर्य, शक्ति और दृढ़ संकल्प का अद्वितीय उदाहरण है। भक्त मानते हैं कि माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में शांति, सद्गुण और कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त होती है, साथ ही यह साधकों को सत्य, आत्मसंयम और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। #brahmacharini #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra #Mahamaya #durga0 Комментарии 0 Поделились 2Кб Просмотры 0 предпросмотр
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संभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) की तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का दूसरा दिन है। आइये कुछ लाइव तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं। सभी का उत्साह देखते ही बनता है। बहुत ही जोश के साथ अभ्यास आगे बढ़ रहा है। कुछ और भैरव-भैरवी भी 2 दिनों में पहुंचने वाले हैं।
#SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePicsसंभल साम्रज्य दिवस (कुरुकुल्ला भगवती प्राकट्योत्सव) की तैयारियां शुरू हो चकी हैं। आज भैरव-भैरवी गणों के अभ्यास का दूसरा दिन है। आइये कुछ लाइव तस्वीरें आपके सामने हम प्रस्तुत करते हैं। सभी का उत्साह देखते ही बनता है। बहुत ही जोश के साथ अभ्यास आगे बढ़ रहा है। कुछ और भैरव-भैरवी भी 2 दिनों में पहुंचने वाले हैं। #SambhalaSamrajyaDivas #KurukullaPraktyotsva #ishaputra #Bhairavas #Utasva #LivePics0 Комментарии 0 Поделились 2Кб Просмотры 0 предпросмотр
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------दुर्गा सप्तशती-----
दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का एक महान ग्रंथ है, जिसे मार्कण्डेय पुराण का अंग माना जाता है। इसे चण्डी पाठ या देवी महात्म्य के नाम से भी जाना जाता है। इसमें १३ अध्याय और ७०० श्लोक हैं, इसीलिए इसका नाम सप्तशती पड़ा। यह ग्रंथ शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम आधार है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनकी लीलाओं और असुरों पर विजय की महिमा का वर्णन मिलता है।
दुर्गा सप्तशती में देवी के तीन प्रमुख स्वरूपों—महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती—का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। इसमें महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड-मुण्ड और अन्य राक्षसों के वध की कथा आती है, जो यह सिद्ध करती है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब देवी अपने रूपों में प्रकट होकर धर्म की रक्षा करती हैं।
नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। श्रद्धालु इसे पढ़कर अपने जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक बल और मानसिक शांति प्रदान करने वाला भी है।
#DurgaSaptashati #Duragapuja #Kurukulla #navaratri #chandiPath #scrolllink------दुर्गा सप्तशती----- दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का एक महान ग्रंथ है, जिसे मार्कण्डेय पुराण का अंग माना जाता है। इसे चण्डी पाठ या देवी महात्म्य के नाम से भी जाना जाता है। इसमें १३ अध्याय और ७०० श्लोक हैं, इसीलिए इसका नाम सप्तशती पड़ा। यह ग्रंथ शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम आधार है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनकी लीलाओं और असुरों पर विजय की महिमा का वर्णन मिलता है। दुर्गा सप्तशती में देवी के तीन प्रमुख स्वरूपों—महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती—का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। इसमें महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड-मुण्ड और अन्य राक्षसों के वध की कथा आती है, जो यह सिद्ध करती है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब देवी अपने रूपों में प्रकट होकर धर्म की रक्षा करती हैं। नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। श्रद्धालु इसे पढ़कर अपने जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक बल और मानसिक शांति प्रदान करने वाला भी है। #DurgaSaptashati #Duragapuja #Kurukulla #navaratri #chandiPath #scrolllink0 Комментарии 0 Поделились 2Кб Просмотры 26 0 предпросмотр4
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शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम मानी जाती हैं और नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है। इनका जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ हुआ था, इस कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें पार्वती और हेमवती नामों से भी जाना जाता है। माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएँ हाथ में कमल रहता है और ये वृषभ पर सवारी करती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। शैलपुत्री देवी को शक्ति, संयम और भक्ति की प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु इनकी उपासना कर जीवन में स्थिरता, शांति और मंगल की प्राप्ति करते हैं।
#shailaputri #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputraशैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम मानी जाती हैं और नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है। इनका जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ हुआ था, इस कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें पार्वती और हेमवती नामों से भी जाना जाता है। माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएँ हाथ में कमल रहता है और ये वृषभ पर सवारी करती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। शैलपुत्री देवी को शक्ति, संयम और भक्ति की प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु इनकी उपासना कर जीवन में स्थिरता, शांति और मंगल की प्राप्ति करते हैं। #shailaputri #navratri #durgapuja #kurukulla #ishaputra0 Комментарии 0 Поделились 1Кб Просмотры 0 предпросмотр5
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सम्भल साम्राज्य दिवस (कुरुकुल्ला प्राकट्योत्सव) के लिए कुछ भैरव गण भी आज यहाँ पहुंच गए। कल सुबह से उनका अभ्यास क्रम शुरू होगा। सभी ने आज श्राद्ध पूजन संपन्न किया। आप सभी भैरव-भैरवियों के पितरों हेतु भी महासिद्ध ईशपुत्र ने पूजन व प्रार्थना की। प्रस्तुत है आपके लिए कुछ विशेष चित्र।
#scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvpसम्भल साम्राज्य दिवस (कुरुकुल्ला प्राकट्योत्सव) के लिए कुछ भैरव गण भी आज यहाँ पहुंच गए। कल सुबह से उनका अभ्यास क्रम शुरू होगा। सभी ने आज श्राद्ध पूजन संपन्न किया। आप सभी भैरव-भैरवियों के पितरों हेतु भी महासिद्ध ईशपुत्र ने पूजन व प्रार्थना की। प्रस्तुत है आपके लिए कुछ विशेष चित्र। #scrolllink #ishaputra #Amavsya #Shraddh #PitruPaksha #iksvp0 Комментарии 0 Поделились 1Кб Просмотры 0 предпросмотр
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आज की रात्रि सोने की रात्रि नहीं है अपितु साधना मंत्र जाप की रात्रि है।
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