• सुस्निग्धमधुराहार श्चतुर्थांश विवर्जितः ।
    भुज्यते शिवसम्प्रीत्यै मिताहारः स उच्यते ॥ ६०॥
    सुस्निग्धमधुराहार श्चतुर्थांश विवर्जितः । भुज्यते शिवसम्प्रीत्यै मिताहारः स उच्यते ॥ ६०॥
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  • जो भी लोग सनातन धर्म के परिचय के नाम पर ३३ करोड़ देवताओं के अस्तित्व का निषेध करें , उनको सौरपुराण का यह वचन दिखायें-
    अथोपविश्य सुरराट्...
    सहस्रानुचराणां च देवतानां महौजसाम् ।
    निर्जराणां त्रयस्त्रिंशत्कोटिभिः 👈🏻 परिवारितः ।।
    ~सौरपुराणम् ५०।०२

    देवराज इन्द्र उत्कृष्ट आसन पर बैठकर हजारों अनुचर वर्ग के साथ जरा- विहीन महातेजस्वी ३३ करोड़ देवताओं से घिरे थे ।

    (यद्यपि अन्यत्र शास्त्रों में भी अनेक वचन हैं ।)
    जो भी लोग सनातन धर्म के परिचय के नाम पर ३३ करोड़ देवताओं के अस्तित्व का निषेध करें , उनको सौरपुराण का यह वचन दिखायें- अथोपविश्य सुरराट्... सहस्रानुचराणां च देवतानां महौजसाम् । निर्जराणां 👉 त्रयस्त्रिंशत्कोटिभिः 👈🏻 परिवारितः ।। ~सौरपुराणम् ५०।०२ देवराज इन्द्र उत्कृष्ट आसन पर बैठकर हजारों अनुचर वर्ग के साथ जरा- विहीन महातेजस्वी ३३ करोड़ देवताओं से घिरे थे । (यद्यपि अन्यत्र शास्त्रों में भी अनेक वचन हैं ।)
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  • -----Atha Shri Pitru Stotram

    अर्चितानाममूर्तानां पितॄणां दीप्ततेजसाम्।

    नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

    इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।

    सप्तर्षीणां तथान्येषां तान्नमस्यामिकामदान् ।।

    मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा।

    तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ।।

    नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।

    द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलिः।।

    देवर्षीणां जनितुंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।

    अक्षय्यस्य सदा दातॄन् नमस्येऽहं कृताञ्जलिः।।

    प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।

    योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलिः।।

    नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

    स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

    सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

    नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।

    अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

    अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषतः।।

    ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तयः।

    जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिणः।।

    तेभ्योऽखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानसः।

    नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुजः।


    #PitruStotra #pitruUpasana #pitriSadhana #shraddh #scrolllink #IKSVP
    -----Atha Shri Pitru Stotram अर्चितानाममूर्तानां पितॄणां दीप्ततेजसाम्। नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।। इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा। सप्तर्षीणां तथान्येषां तान्नमस्यामिकामदान् ।। मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा। तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ।। नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा। द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलिः।। देवर्षीणां जनितुंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्। अक्षय्यस्य सदा दातॄन् नमस्येऽहं कृताञ्जलिः।। प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च । योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलिः।। नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु । स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।। सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा । नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।। अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् । अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषतः।। ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तयः। जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिणः।। तेभ्योऽखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानसः। नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुजः। #PitruStotra #pitruUpasana #pitriSadhana #shraddh #scrolllink #IKSVP
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  • । पितृ-सूक्तम् ।।

    उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
    असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥

    #PitruStotra #pitruUpasana #pitriSadhana #shraddh #scrolllink #IKSVP
    । पितृ-सूक्तम् ।। उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः। असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥ #PitruStotra #pitruUpasana #pitriSadhana #shraddh #scrolllink #IKSVP
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  • यदि आप भी देशज विधि के अनुसार सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ संपन्न करना चाहते हैं तो आज का पूरा दिवस और संध्या केवल पितरों के लिए है। कैसे करें सर्वपितृ श्राद्ध की तैयारी?

    १) सबसे पहले स्नान करें। फिर अपनी रसोई को भी साफ़ करें व पवित्र करें। फिर पूरी शुद्धता के साथ अपने पितरों के लिए भोजन पकाएं। उदहारण

    -घी लगी रोटी
    - चावल
    - दाल
    - सब्जी
    - मीठा जैसे खीर या हलवा
    - फल जैसे सेब, आम, केला आदि
    - पुष्प
    - दूर्वा अथवा कुशा
    - 18 पत्ते (किसी भी पवित्र वृक्ष के हो सकते हैं जिन पर भोजन परोसा जा सके)
    - 2 थालियां खाली व एक पूजा की थाली जिसमें धूप, दीप, आचमनी, गंगाजल या हिमजल, कुमकुम या हल्दी, अक्षत, घंटी, एक लोटा जल, मौली आदि होनी चाहिए।
    - एक शिवलिंग अथवा त्रिशूल, अपने गुरु की प्रतिमा अथवा कोई प्रतीक चिन्ह
    -सर्वपितृ यन्त्र मंडल

    २) अपने लिए साफ़ वस्त्र रखें जब श्राद्ध करना हो तभी उनको धारण करें।
    ३) एक वस्त्र का टुकड़ा सफेद या पीला, ताम्बे का लोटा, एक कटोरी, जो इस लोटे को ढक दे, पीपल या आम का पत्ता।
    ४) थोड़ी सी दक्षिणा आदि

    ये सारी सामग्री पहले तैयार कर लें।
    अपने पास एक रुद्राक्ष की माला अवश्य रखें।

    पूजन का साधारण मंत्र: ॐ सर्व पितृभ्यो नम:

    #shraddh #sarvaPitriShraddh #kulachar #kulantpeeth #deshajVidhi #scrolllink #IKSVP
    यदि आप भी देशज विधि के अनुसार सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ संपन्न करना चाहते हैं तो आज का पूरा दिवस और संध्या केवल पितरों के लिए है। कैसे करें सर्वपितृ श्राद्ध की तैयारी? १) सबसे पहले स्नान करें। फिर अपनी रसोई को भी साफ़ करें व पवित्र करें। फिर पूरी शुद्धता के साथ अपने पितरों के लिए भोजन पकाएं। उदहारण -घी लगी रोटी - चावल - दाल - सब्जी - मीठा जैसे खीर या हलवा - फल जैसे सेब, आम, केला आदि - पुष्प - दूर्वा अथवा कुशा - 18 पत्ते (किसी भी पवित्र वृक्ष के हो सकते हैं जिन पर भोजन परोसा जा सके) - 2 थालियां खाली व एक पूजा की थाली जिसमें धूप, दीप, आचमनी, गंगाजल या हिमजल, कुमकुम या हल्दी, अक्षत, घंटी, एक लोटा जल, मौली आदि होनी चाहिए। - एक शिवलिंग अथवा त्रिशूल, अपने गुरु की प्रतिमा अथवा कोई प्रतीक चिन्ह -सर्वपितृ यन्त्र मंडल २) अपने लिए साफ़ वस्त्र रखें जब श्राद्ध करना हो तभी उनको धारण करें। ३) एक वस्त्र का टुकड़ा सफेद या पीला, ताम्बे का लोटा, एक कटोरी, जो इस लोटे को ढक दे, पीपल या आम का पत्ता। ४) थोड़ी सी दक्षिणा आदि ये सारी सामग्री पहले तैयार कर लें। अपने पास एक रुद्राक्ष की माला अवश्य रखें। पूजन का साधारण मंत्र: ॐ सर्व पितृभ्यो नम: #shraddh #sarvaPitriShraddh #kulachar #kulantpeeth #deshajVidhi #scrolllink #IKSVP
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